Atlantis रियल मनी
(क) बाबू जयशंकर प्रसाद की बहुमुखी प्रतिभा का परिचय किन क्षेत्रों में मिलता है ? उत्तर : “बाबू जयशंकर प्रसाद” आधुनिक हिन्दी साहित्य के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है। जिन्होंने 1918 से 1938 तक हिन्दी साहित्य को अपने बहुमुखी प्रतिभा के द्वारा स्वर्वोच्च स्थान तक पहुँचा दिया । कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास, निबंध और आलोचना सभी में आपके अमर लेखनी के द्वारा बहुमुखी प्रतिभा का परिचय मिलता है। (ख) श्रीमान ने छोटे जादूकर को पहली भेंट के दौरान किस रूप में देखा था ? उत्तर : एक छोटे फुहारे के पास ‘छोटे जादूगर’ वाले चुपचाप खड़ा था कुछ शरबत पीने वाले लोगों को देखकर उसके गले में फटे कुरते के ऊपर एक मोटी सी सूत की रस्सी पड़ी थी। और जेब में कुछ ताश के पत्ते थे। (ग) “वहाँ जाकर क्या कीजिएगा ?” छोटे जादूगर ने ऐसा कब कहा था ? उत्तर : जब श्रीमान ने लड़के को ‘परदे तक ले जाने के लिए चलने को कहा तब वह अचरज से कहा वहाँ जाकर क्या किजीएगा । (घ) निशानेबाज के रूप में छोटे जादूगर की कार्य कुशलता का वर्णन करो। उत्तर : निशानेबाज के रूप में लड़केने जो कार्यकुशलता का निशान लगाया था। वहाँ उसका कोई गेंद खाली नहीं गया। ऐसे ही वह बारह खिलौने बटोर लिया। इसके बाद वह अचानक हिन्दोंल तक गया इसप्रकार दिखाया कि वह पक्का निशानेबाज है। (ङ) कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में श्रीमान श्रीमती को छोटा जादूगर किस रूप में मिला था ? उत्तर : कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में छोटा जादूगर हाथ में चारखाने की खादी का झोला। साफ जाँधिया और आँधी बाहों का कुर्ता, इसी वेश से मस्तानी साल से झूमता हुआ आ रहा था। (च) कलकत्ते मे बोटानिकल उद्यान में श्रीमान ने जब छोटे जादूगर को ‘लड़के!’ कहकर संबोधित किया, तो उत्तर में उसने क्या कहा ? उत्तर : कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में जब श्रीमान जीने छोटा जादूगर को लड़के कहा था तब उसने उत्तर दिया था कि- “छोटा जादूगर कहिए। यही मेरा नाम है । इसीसे मेरी जिविका है । (छ) “आज तुम्हारा खेल जमा क्यों नहीं ?” इस प्रश्न के उत्तर में छोटे जादूगर ने क्या कहा ? उत्तर : श्रीमान जी ने जब पूछा कि-“आज तुम्हारा खेल जमा क्यों नहीं। छोटा, जादूगर ने इस प्रश्न के उत्तर में कहा कि- “माँ ने आज तुरंत चले आने को कहा। उसकी घड़ी का समीप है । 4. संक्षिप्त उतर दो (लगभग ५० शब्दों ) (क) प्रसाद जी की कहानियों की विशेषताओं का उल्लेख करो। उत्तर : प्रसाद जी प्रधानतः द्यायावादी धारा के प्रतिनिधित्व करने वाले थे। जिसने आधूनिक हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाया था। आपकी कहानियों का विशेषता है कि भारतीय सभ्यता संस्कृति, धर्म दर्शन भक्ति आध्यात्म आदिपर रुची रखते है। इसके साथ आपने यांत्रिकता, बुद्धिवादिता, भौतिकता की अतिरेकता से उत्पन्न आधूनिक जीवन की विविध मूलभूत समस्याओं के चिह्नित करना विशेष विशेषता है। (ख) “क्यों जी, तुमने इसमें क्या देखा ?” इस प्रश्न का उत्तर छोटे जादूगर ने किस प्रकार दिया था ? उत्तर : जिस समय कार्निवाल के मैदान में विजली की जगमगा रही थी। उस समय वहाँ छोटा जादूगर ने एक कोने में खड़े रहते समग्र श्रीमानजी जब पूछा तब उत्तर दिया कि मैने सब देखा। यहाँ चूड़ी फेंकते है। खिलौने पर निशाना लगाते है। तीर से नम्बर छेदते है। मूझे तो खिलौने पर निशाना लगाना अच्छा मालूम हुआ। जादूगर तो विलकुल निकम्मा है। उससे अच्छा तो ताश का खेल मै दिखा सकता हूँ।” (ग) अपने माँ-बाप से संबंधित प्रश्नों के उत्तर में छोटे जादूगर ने क्या क्या कहा था ? उत्तर : अपने माँ बाप के संबंधित प्रश्नों के उत्तर में छोटे जादुगर ने कहा कि ―बाबुजी जेल में है और इस बात को बड़े गर्व से कहा कि देश के लिए ही जेल में गया। माँ बीमारी है। यह भी कहा कि माँजी के बीमारी के कारण वह जेल में नही गया। क्योंकि कुछ लोगों को तमाशा दिखाकर माँ के लिए दवादारु के प्रबंध करना है । (घ) श्रीमान ने तेरह-चौदह वर्ष के छोटे जादूगर को किसलिए आश्चर्य से देखा था ? उत्तर : बीमारी माँ को छोड़कर तमाशा देखने आनेका बात पूछते ही श्रीमान को लड़का ने कहा कि- तमाशा देखने नही, दिखाने निकला हूँ। कुछ पैसे ले जाऊँगा। तो माँ के पथ्य दूगाँ। मुझे शरबत न पिलाकर आपने मेरे खेल देखकर मुझे कुछ दे दिया तो मुझे अधिक प्रसन्नता होती। ऐसी बाते सुनकर श्रीमान विलकुल आश्चर्य चकित हो गये । (ङ) श्रीमती के आग्रह पर छोटे जादूगर ने किस प्रकार अपना खेल दिखाया? उत्तर : वह कार्निवल के मैदान में मिले सब खिलौने लेकर श्रीमती के अनुरोध रक्षा करने के कौशिश किया जैसे भालु नाचने लगा। बिल्ली रुठने लगी। बन्दर घुड़कने लगा। गुद्दा को बर बनाकर गुड़िया से व्याह दिया। वह ऐसे ही खिलौने से अभिनय बनाया कि देखते देखते सब आनन्दित हो गया। हँसते हँसते लोटपोट हो गया । (च) हवड़ा की ओर आते समय छोटे जादूगर और उसकी माँ के साथ श्रीमान की भेंट किस प्रकार हुई थी ? उत्तर : उस दिन श्रीमती छोटा जादूगर के खेल देखकर एक रुपया दे दिया था। पैसा क्या करेगा पूछने पर जवाब दिया था कि कुछ पकोड़े खाऊंगा और मा के लिए एक कम्बल लूँगा। लड़का चला गया । श्रीमानजी के गाड़ी हावड़ा के ओर धीरे धीरे आ रहा था कि रास्ते के किनारे वही जादूगर लड़का को फिर पाया। पूछा तो कहा कि यहाँ मेरी माँ रहते हैं। हस्पाताल वालों ने निकाल दिया। श्रीमानजी ने छोपड़ी’ तक देखा कि एक स्त्री चिथोड़े से लदी हुई काँप रही थी। लड़का माँ के ऊपर कम्बल डालकर चिपटते हुए कहा- “माँ।” (छ) सड़क के किनारे कपड़े पर सजे रंगमंच पर छोटा जादूगर किस मतःस्थिति और किस प्रकार खेल दिखा रहा था ? उत्तर : सड़क के किनारे सजे रंगमंच पर छोटा जादूगरने उसदिन बड़ी दुखी मानसिक अवस्था में खेल दिखाने के कौशिश किया था। उसदिन मन में प्रसन्नता न था। जब दुसरों को हँसाने के चेष्टा कर रहा था, उस समय वह कँप रहा था। खेल खतम होने पर जितनी जल्दी हो सके उतनी ही जल्दी वह घर लौटने के तैयारी कर रहे थे। कियोंकि माँ ने उसदिन घर जल्दी लौट आने को कहा था। उसकी घड़ी समीप है। इस कथन लड़का के कानों में बज रहा था। इसलिए वह बहुत ही कठिन मानसिक अवस्था में खेल दिखा रहा था। (ज) छोटे जादूगर और उसकी माँ के साथ श्रीमान की अंतिम भेंट का अपने शब्दों में वर्णन करो। उत्तर : श्रीमान ने चलते चलते बोटानिकल उद्यान के देखते की इच्छा हुई। साथ ही यह भी इच्छा थी कि कहीं जादूगर को दिखाई पड़े तो अच्छा है। किन्तु सोच ठीक हिसाब से जादूकर को दिखाई पड़ा रास्ते के किनारे। वह एक कपड़े पर रंगमंच बनाया था। एक समय में खेल शुरु हुआ। अंत भी हुआ और वह भीड़ में श्रीमानको देख लिया। श्रीमान ने पूछा-“आज तुमहारा खेल जमा क्यों नहीं ? लड़का ने कहा-“माँ ने आज तुरंत चले आने को कहा, उसकी घड़ी’ का समीप आ गया।” श्रीमान जी समझ गया और अपने गाड़ी में लड़का को बैठाकर झोपड़ी के पास पहुँचा। लड़का अंदर चला गया। माँ कहने पर उसने दुर्बल हाथ उठाकर “वे…..” कहकर हाथ गिरा दिया। लड़का रो रहा था। श्रीमान पीछे खड़ा रहा। Sl. No. Contents Chapter 1 नींव की ईंट Chapter 2 छोटा जादूगर Chapter 3 नीलकंठ Chapter 4 भोलाराम का जीव Chapter 5 सड़क की बात Chapter 6 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया Chapter 7 साखी Chapter 8 पद-त्रय Chapter 9 जो बीत गयी Chapter 10 कलम और तलवार Chapter 11 कायर मत बन Chapter 12 मृत्तिका प्रश्न 5. सम्यक उत्तर दो (लगभग १०० शब्दों में) (क) बाबू जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक देन का उल्लेख करो । उत्तर : कवि हृदय वाले जयशंकर प्रसाद मूलतः भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए था। आप छायावादी काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि के रूप में प्रतिष्ठित हुई। आपकी काव्य रचनाएँ भारतीय साहित्य के अमूल्य देन माना जाता है। जैसे उर्वशी, वन मिलन, रामराज्य, अयोध्या का उद्धार, शोकोच्छवास, बभ्रुवाहन, कानन कुसुम, प्रेमपथिक, करुणालय, महाराणा का महत्व, झरना, आँसू (खण्डकाव्य), लहर, कामायनी (महाकाव्य) आदि है। प्रसाद जी द्वारा रचित निम्नलिखित है-सज्जन कल्याणी-परिणय, प्रायश्चित, राजश्री, अजातशत्रु, जन्मेजय का नागयज्ञ, कामना, स्कन्दगुप्त आदि। चन्द्रगुप्त और ध्रुवस्वामिनी जैसे उपन्यास भी प्रसाद जी ने रचना की है। कंकाल, तितली और इरावती जैसे आपके निबंध हैप्रसाद जी ने लगभग सत्तर कहानियाँ लिखी है। छाया, प्रतिध्वनि, आकाशदीप, आधी, इन्द्रजाल आपके कहानी संकलित है। प्राय कहानियों में चारित्रिक उदारता, प्रेम, करुणा, त्याग वलिदान, अतीत के प्रति मोह का भावात्मक समावेश हुआ। आपने समकालीन सामाजिक व्यवस्था, अन्याय शोषणता जैसे प्रतिवादी भावों का भी अभिव्यक्त किया । (ख) छोटे जादूगर के मधुर व्यवहार एवं स्वाभिमान पर प्रकाश डालो। उत्तर : प्रसाद जी के छोटा जादूगर पाठ में एक तेरह-चौदह साल उम्र वाले लड़का को किस रूप में प्रतिष्ठित किया इस में प्रसाद जी के कार्यकुशलता परिस्फुट हुआ है। पाठ के आधार पर लड़के के माध्यम से उसके मधुर व्यवहार, स्वाभिमान सुन्दर रूप में दिखाया है। कर्नवाल के मैदान में जब बिजली-जगमगाते रहते थे उस समय एक साधारण बालक अपने गंभीर भावों से, धैर्य के साथ एक कौने में चुपचाप खड़ा रहा। श्रीमान